इन दिनों में लोगों में बढ़ जाती हैं आंखों से संबंधित परेशानियां : डा. सिम्मी अग्रवाल (पटाखों व पराली के धुएं से आंखों को बचाएं)

लुधियाना, 30 अकूबर
(विपन) आंखें कुदरत का एक अनमोल तोहफा है। जैसे हम शरीर
के बाकी अंगों का ध्यान रखते वस ही हम अपना आंखा का भी खास ध्यान रखना चाहिए। लगातार बढ़ते वायू प्रदूषण की वजह से लोगों को आंखों से संबंधित बहुत परेशानियां आ रही है।
इनमें आंखों में पानी आना. आखा का लाल हा जाना, सोजिश, आंखों में चुभन और जलन जैसी कई समस्याएं शामिल हैं। कुछ लोगों को कई प्रकार की अलर्जी भी हो जाती है, जिसके कारण आंखों का पानी कम होना शुरू हो जाता है, जिसकी सुखापन (ड्राई आइज) कहते है। अंबे आई केयर एवं लेसिक सेन्टर टॉक में यह बातें कहीं। डा. सिम्मी ने कहा कि दिवाली के दिनों में वायु प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है।
इसके अलावा इन दिनों में पराली जलाए जाने से भी प्रदूषण में बढ़ौतरी हाती जिसका असर आंखों पर भी
पड़ता है और लोगों को आंखों में दिकत होनी शुरू हो जाती है, इसलिए इन दिनों में धुएं व वायु प्रदूषण से बचने के लिए घरों के दरवाजे और बचने के लिए घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखनी चाहिए।
कहीं बाहर जाना पड़े तो चश्मा पहन कर निकले। हाथों को साफ सुथरा रखें। हाथों को बार-बार धोएं। आंखों को
बार बार हाथ मत लगाए। आखा का मलना नहीं चाहिए ताकि आंखों का पानी बना रहे और सुखेपन की दिक्कत न आए। बार बार हाथ मत लगाए। आखा का मलना नहीं चाहिए ताकि आंखों का पानी बना रहे और सुखेपन की दिक्कत न आए।


नजदीक की नजर के चश्मों से भी छुटकारा संभव

डा. सिम्मी ने बताया कि आंखों के इलाज में तकनीक ने बहुत तरक्की कर ली है।
अंबे आई केयर एवं लेसिक सेंटर में पूरे उत्तर भारत में सबसे पहले जर्मन की नई तकनीक आई है,
जिसके साथ 40 साल से अधिक आयु के लोग दूर एवं दूर-नजदीक के चश्मों से छुटकारा पा सकते हैं।
कोरोना के कारण आर्थिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अस्पताल की प्रबंधक कमेटी की तरफ से आंखों का चैकअप तथा सभी लेजरों एवं आप्रेशनों पर विशेष छूट चल रही है, जिसका लाभ सभी उठा सकते हैं। इसके अलावा काले मोतिए, परदे पानी बहने का इलाज की सुविधा भी मरीजों को काफी रियायती दरों पर दी जा रही हैं।

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