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सफेद मोतियाबिंद
सफेद मोतियाबिंद एक प्राकृतिक लेंस का धुन्दलापन है। सफेद मोतियाबिंद से आंखों की रोशनी कम हो जाती है। सफेद मोतियाबिंद बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। यह एक या दोनों आँखों को प्रभावित कर सकता है। सफेद मोतियों से रंगों का फैलाव, धुंधला, रोशनी के आसपास घेरे, ज्यादा तेज रोशनी में और रात में देखना मुश्किल होता है। सफेद मोतियाबिंद होने पर गाड़ी चलाने, पढ़ने और चेहरे की पहचान करने में मुश्किल होता है। सफेद मोतियाबिंद के गिरने का खतरा बढ़ जाता है। मोतियाबिंद के आधे मामलों में अंधापन और दुनिया की 33% लोगो की आंखों की नजर को प्रभावित करता है।
संकेत और लक्षण सफेद मोतियाबिंद के विकास पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं सफेद मोतियाबिंद के बड़ने के प्रकार लोगों के बीच और अधिक पक्का हुआ है मोतियाबिंद या फटने की स्थिति वाले मोतियाबिंद में दृष्टि कम होती है जिन लोगों को पोस्टीरियर सबकैप्सुलर मोतियाबिंद है वे सामान्य रूप में उज्ज्वल लक्षणों की शिकायत करते है आंखों की बीमारी की कोई और बीमारी होने के कारण, चोट लगने कारण, समय पर इलाज न करवाने से भी सफेद मोतियाबिंद हो जाता है वो आंखों की नज़र को प्रभावित करता है अन्य लक्षण लेंस की अस्पष्टता के कारण चश्मे की संख्या में परिवर्तन या रंगों के कम होने के कारण हो सकते हैं।
सफेद मोतियाबिंद के कारणः आयु, चोट लगना, किरणा एक्स-रे, यू. वी रोशनी या अनुवांशिक मोतियाबिंद उदाहरण के लिए, सफेद मोतियाबिंद विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे कि बाद के उप-कैप्सुलर मोतियाबिंद (Subcapsular posterior cataract) न्यूक्लियर स्केलेरोसिस मोतियाबिंद अंतिम चरण, अंतिम चरण, पोस्टीरियर मोतियाबिंद आदि । मोतियाबिंद की सर्जरी फेको इमल्सीफिकेशन के साथ माइक्रोस्कोप के द्वारा की जाती है। मोतियाबिंद की सर्जरी किसी भी स्तर पर की जा सकती है। और लेंस की फिर से लंबे समय तक आवश्यकता नहीं होती है ऑपरेशन आमतौर पर स्थानीय बेहोशी द्वारा हैं किया जाता है। विकसित दुनिया में फेको इमल्सीफिकेशन द्वारा मोतियाबिंद की सर्जरी सबसे अधिक की जाती है। ऑपरेशन के दिन आंखों पर पट्टी बांधी जाती है। मरीज आमतौर पर ऑपरेशन के दिन से अपना काम फिर से शुरू कर सकता है। सर्जरी के बाद पुतली का धुंदलापन या सूज जाना आम बात है। जो बहुत गंभीर नहीं है। ये आमतौर पर सर्जरी के बाद ज्यादा सूजने के नतीजे होते सूजन के कारण मरीज को धुंदला दिखाई देता है, लेकिन समय पर दवाइए डालने से धुंदली नजर पर सुधर आता है। गंभीर कठिनाई इंफेकशन और पर्दे का टूटना, ये दोनों में दृष्टि कम हो जाती है । लेकिन ये बहुत कम है। पोस्ट- कैप्सुलर ओपसीफिकेशन मोतियाबिंद के बाद होता है। मोतियाबिंद ऑपरेशन के कई सालों या महीनों बाद, लेंस के अंदर जाला बन जाता है। सफेद मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सफलतापूर्वक होने के बाद आमतौर पर दृष्टि के कम होने कारण, कृत्रिम (Artificial) लेंस के चारों ओर झिल्ली की परत का मोटा होना है। यैग लेजर के साथ, लेंस के ऊपर की झिल्ली को छोटे गोल आकार में काट दिया जाता है। जिससे दृष्टि बढ़ती है। मोतियाबिंद सर्जरी में मोनोफोकल, मल्टीफोकल, ट्राइफोकल और टॉरिक लेंस का उपयोग किया जाता है।