40 साल से अधिक उम्र में भी चश्मे से पा सकते हैं छुटकारा: डॉ. सिम्मी अग्रवाल

लुधियाना डॉ. सिम्मी अग्रवाल ने बताया कि मल्टीफोकल इंट्राओकुलर लेंस दृश्य कार्य को बहाल करने में सहायक होते हैं।
ये रोगी को संतुष्टि के साथ तंत्रता की भी अनुमति देते हैं। मल्टीफोकल की सफलता से जुड़े कारकों में रोगी का सावधानी पूर्वक चयन, आईओएल डिजाइन के बारे में ज्ञान और रोगी के दृश्य प्रदर्शन शामिल हैं। अब मल्टी फोकल की तकनीक आगे बढ़ रही है, क्योंकि मोतियाबिंद सर्जरी के उद्देश्य अधिक आकर्षक होते जा रहे हैं।
रोगियों को अपनी दृष्टि के बारे में अधिक उम्मीदें होती हैं और सर्जरी के बाद स्वतंत्रता की इच्छा होती है। मल्टीफोकल आईओएल को मोतियाबिंद सर्जरी के परिणामों को बढ़ाने के लिए विकसित किया गया था,
जो प्रकाश को अलग-अलग हेल्थ प्लस फोकस में विभाजित करके निकट दृष्टि में सुधार करता है। इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि तकनीक ने अब बहुत तरक्की कर ली है। उनके अस्पताल अंबे आई केयर एवं लेसिक सेन्टर में पूरे उत्तर भारत में सबसे पहले जर्मन की नई तकनीक आई है।
जिसके साथ 40 साल से अधिक आयु के लोग दूर एवं दूर-नजदीक के चश्मों से छुटकारा पा सकते हैं और मरीज अपने जीवन की बारीकियों को दूर कर नई जिंदगी जी सकते हैं।
इसके अतिरिक्त काले मोतिए, परदे, पानी बहने का इलाज भी वाजिब रेटों पर किया जाता है। अम्बे आई केयर का मुख्य उद्देश्य मरीजों का आधुनिक एवं नामवर डॉक्टरों द्वारा इलाज करना है। अस्पताल की प्रबंधक कमेटी की तरफ से आंखों का चेकआप व सभी लेजरों एवं ऑप्रेशनों पर विशेष छूट चल

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