काले मोतिये का इलाज संभव है !

ग्लोकोमा यानि की काला मोतिया एक बीमारी है जो आप कि आँखों की ऑप्टिक नर्व को नुक्सान पहुँचाती है, यह आम तौर पर तब होता है जब आँख के आगे वाले हिस्से में पानी भर जाता है, आँख में पानी का ज्यादा बहाव आँख के दबाव को बढ़ा देता है, जो कि ऑप्टिक नर्व को नुक्सान पहुंचाता है।

काला मोतिया 60 साल से ज्यादा आयु के लोगों के लिए अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है। काले मोतिये का इलाज़ जल्द से जल्द होना चाहिए।

काला मोतिया 2 तरह का होता है :-
प्राइमरी ओपन ऐंगल ग्लोकोमा जिसमें आम तौर पर दर्द महसूस नहीं होती। यह एक साधारण काला मोतिया है।
ऐंगल क्लोज़र ग्लोकोमा जो कि संकटकालीन स्थिति है, क्यूंकि इसमें नज़र धुंधली होती है। इस हालत में आँखों में गंभीर दर्द, आँखों के इर्द-गिर्द सतरंगी घेरे एवं रौशनी फैलती नज़र आती है। ऐंगल क्लोज़र गुलुकोमा का इलाज़ अगर समय पर ना किया जाए तो यह अंधेपन का कारण बन सकता है।

काला मोतिया के लक्षण
ओपन ऐंगल ग्लोकोमा जिसमें कोई भी संकेत एवं लक्षण आँखों में महसूस नहीं होते। बहुत सारे लोग तब तक ध्यान नहीं देते जब तक नज़र ख़तम नहीं हो जाती, इस लिए इसको “खामोश चोर” भी कहते हैं। इस बीमारी को कंट्रोल में रखने के लिए मरीज़ को हर 6 महीने के बाद अपनी आँखों के काले मोतीये कि जांच करवानी चाहिए, ताकि समय पर इसका इलाज़ करके घटती नज़र को बचाया जा सके।

ऐंगल क्लोजर ग्लोकोमा एक गंभीर बिमारी है, जिस में मरीज़ को जल्द से जल्द अपने डॉक्टर को दिखा कर इसका इलाज़ करवाना चाहिए |

काले मोतीये के खतरे के संकेत हैं, 40 साल से ऊपर, काले मोतीये से संभंधित परिवार का इतिहास, अफ्रीकन याँ एशियन विरासत के होना, दबाव का बढ़ना, दूरदृष्टि याँ निकट दृष्टि, आँख पर चोट लगना, ज्यादा लम्बे समय से स्टेरॉयड दवाईओं का प्रयोग करना, पुतली का बीच में से पतले होना, ऑप्टिक नर्व का पतले होना, शुगर, माइग्रेन, हाई ब्लड प्रेशर का होना, एवं अन्य शारीरक बीमारियों का होना |

काले मोतीये के दौरान डॉक्टर आपका प्रेशर (IOP) चेक करेंगे, गोनोस्कोपी (Gonioscopy) करेगें एवं आँखों के तरल ऐंगल के बहाव की जाँच करेंगे, OCT (RNFL) एवं ऑप्टिक नर्व के नुकसान की जाँच करेंगे, दिख खेत्र (Visual Field) की जाँच करेंगे, पुतली की मुटाई (Pachymetery) की जाँच करेंगे |

काले मोतिये का इलाज आँखों की दवाइओं से किया जाता है, दवाइओं की हर बूँद हर रोज़ आपकी नज़र को बचा सकती है काले मोतिये की दवाइओं से कुछ बुरे प्रभाव भी होते हैं, परन्तु अपने डॉक्टर की सलाह के बिना यह दवाइयाँ बंद नहीं करनी चाहिए | ऑपरेशन द्वारा इलाज तब किया जाता है, जब आंखों की डालने वाली दवाईंयां काले मोतिया को कंट्रोल नहीं करती, काला मोतिये की अच्छी दवाईंयां लगातार डालने से काला मोतिये को काफी हद तक कंटोरल मैं रखा जा सकता है काले मोतिये का इलाज करना आपके और डॉक्टर के बीच में एक टीम का प्रयत्न है। आपका नेतर विशेषयज्ञ आपको नियमत रूप में देखना चाहेगा। आपसे उम्मीद की जाती है कि आप हर तीन महीने से छे महीने के बाद अपने डॉक्टर से चेक-अप करवाने जरूर जायें। अस्पताल अम्बे आई केयर, ‘काले मोतिये’ की देखभाल के खेत्र में माहिर है। इस अस्पताल में काले मोतिये के मरीज़ का इलाज आधुनिक तकनीकों से बहुत ही उत्तम एवं सतुंष्ट तरिके से किया जाता है। अम्बे आई केयर का मुख्य उदेश्य आधुनिक तकनीक से माहिर डॉक्टरों द्वारा अच्छे इलाज की सुविधाएं देना है।

इसके इलावा उन्होनें यह भी बताया कि तकनीक ने अब बहुत तरक्की कर ली है, उन्के अस्पताल अंबे आई केयर एवं लेसिक सेन्टर में पुरे उतर भारत में सबसे पहले जर्मन की नई तकनीक PRESBYOND आई है, जिसके साथ 40 साल से अधिक आयु के लोग दूर एवं दूर-नज़दीक के चश्मों से छुटकारा पा सकते हैं और मरीज़ अपने जीवन की बारीकियों को दूर करके नई जिन्दगी जी सकते हैं।

इस के अतिरिक्त काले मोतिए, परदे, पानी बहने का ईलाज भी बहुत वाजिब रेटों पर किया जाता है। अम्बे आई केयर का मुख्य उद्देश्य मरीज़ों का आधुनिक एवं नामवर डाकटरों द्वारा इलाज करना है। कोरोना के कारण आर्थिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अस्पताल की प्रबंधक कमेटी की तरफ से आँखों का चेकअप तथा सभी लेज़रों एवं आप्रेशनों पर विशेष छूट चल रही है, जिसका लाभ सभी उठा सकते हैं।

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